Buddham Sharnam Gacchaaamimay there be peace, love and sanity- amen
Embers of the unheard and the vision, a consequence of my tryst with the golden dawn. I walk towards the immaculate soul…
आधे अधूरे - मोहन राकेश और मैं।
कभी कभी एक किरदार नजाने कितने किरदार अपने अन्दर समाय रहता है और कभी कभी कितने किरदार किसी एक में किरदार से मेल खाते नजर आतें है।
में अपने आपको महेंद्र नाथ की जुस्तजू कहूं तो सुकून पल भर के लिए भी नही, में अपने आप को जुनेजा कहूं तो दिल में एक चट्पताहत होती है, अपने आपको सिंघानिया कहूं तो मुश्किल सवालों से अपने आप को घिरा पता हूँ...
अपने आपको यादो के समंदर से निकाल बाहार भी फेंकू तो महेश की आद्र व्यथा लहरों में घुली रेत की तरह बदन से चिपक बहार मेरे दरवाजे के अन्दर आ घुसती है। बड़ी लड़की और छोटी लड़की की लाचारी और बेबसी मुझे उस गाये की याद दिला ती है जो शायद हरी घास देख तो पाती है मगर उस तक पहुचना जर्जर समाज रुपी खूटे को नागुजार है। अशोक शायद मेरी ही उम्र का होगा, उसकी तड़प उसके भड़कते रंग की कमीज से और उसकी सामाजिक द्रष्टि शायद उसकी दाड़ी से झलकती है...हँसी आती है मगर अब मेरे बाल पहले से छोटे है और मेरी दाड़ी भी कम है....
शायद अब में अपनी निद्रा दिन के विचारो में बिता देता हूँ, शायद अब निशा और मेरा नाता सर एक चक्र के सामान रह गया है।
सावित्रीतो जैसे मेरे मंथन की एक पहेली की तरह है, एक ऐसी पहेली जो है तो मेरा एक अंग ही मगर उसे में हमेशा विष और अमृत के तराजू में रख देता हूँ।
नजाने यह सब क्यो हुआ, नजाने यह सब कैसे हुआ, नजाने परिणाम और संघर्ष जीवन के दो छोर रुपी शब्द क्यो है?
अन्तर मन की विवाश्ताओ में घिरा, आत्मन की सोच में विलीन, कर्म और धर्म के दुराहे पे नजाने किस पात यह ज़िन्दगी अग्रसर है। रेत है मुट्ठी में थोडी बहुत या बची है आरजू अभी भी, अन्धकार और प्रकाश से लड़ता, पतंगे से में, बढ़ता चला हूँ.......
शायद भागने की जटिलता और रुकने की दशा है...शायद में भी राकेश की कलम की तरह ही आधा अधूरा बचा हूँ....
आधे अधूरे......
wait...I'll hold on...I'll hold on....for eternity and beyond that......no matter what.....the crystalline structure is made of tiny particles and that's the truth....no matter what...i need to hold on.....the perception will never die....yes the soul will never die...the ashes will be amber....towards the horizon....no hope nothing...but i wont go.....no matter what....I'll hold.aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa